
12 ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंग: ज्योतिर्लिंगों का विस्तृत परिचय | Divine and Positive Energy
भारत की पवित्र धरती पर बसे 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय स्थलों में से हैं। ये 12 ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी दर्शाते हैं। इस ब्लॉग में हम 12 ज्योतिर्लिंग में से पहले छह—सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, और भीमाशंकर—के बारे में विस्तार से जानेंगे। इनके इतिहास, पौराणिक कथाओं, और यात्रा से जुड़ी जानकारी के साथ-साथ यह भी समझेंगे कि ये स्थल भक्तों के लिए क्यों इतने खास हैं।
12 ज्योतिर्लिंग क्या हैं?
12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू (स्वयं प्रकट हुए) रूप हैं, जो प्रकाश के प्रतीक माने जाते हैं। “ज्योति” का अर्थ है प्रकाश और “लिंग” शिव का प्रतीक है। ये मंदिर भारत के अलग-अलग हिस्सों में फैले हैं और हर एक का अपना अनूठा महत्व है। शिव पुराण के अनुसार, ये वो स्थान हैं जहाँ भगवान शिव ने अपने दिव्य स्वरूप में दर्शन दिए। इस लेख में हम 12 ज्योतिर्लिंग की सूची में से पहले छह पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग में प्रथम
स्थान और पहुँच
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रभास पाटन में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे पहला मंदिर है और अरब सागर के तट पर बसा हुआ है। यहाँ तक पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल (7 किमी) और हवाई अड्डा अहमदाबाद (400 किमी) है। सड़क मार्ग से भी यह अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहाँ की यात्रा का अनुभव समुद्र तट की शांति और मंदिर की भव्यता से भरपूर होता है।
इतिहास और पौराणिक कथा
सोमनाथ का उल्लेख शिव पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा ने दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों से विवाह किया था, लेकिन वह केवल रोहिणी से प्रेम करता था। इससे नाराज दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि उसका प्रकाश क्षीण हो जाएगा। चंद्रमा ने भगवान शिव से प्रार्थना की, और शिव यहाँ स्वयंभू रूप में प्रकट हुए। उन्होंने चंद्रमा को आशीर्वाद दिया कि उसका प्रकाश पुनर्जनन होगा। इसीलिए इसे “सोमनाथ” (चंद्रमा का स्वामी) कहा जाता है।
ऐतिहासिक रूप से, सोमनाथ मंदिर कई बार विदेशी आक्रमणों का शिकार बना। 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी ने इसे लूटा और नष्ट किया, लेकिन भारतीय आस्था ने इसे बार-बार पुनर्जनन दिया। आज का मंदिर 1951 में पुनर्निर्मित हुआ और यह अपने भव्य स्वरूप में खड़ा है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है।
विशेषताएँ
सोमनाथ का शिवलिंग स्वयंभू है और इसे प्राचीनतम माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जिसमें ऊँचे गुम्बद और नक्काशीदार स्तंभ शामिल हैं। यहाँ हर दिन तीन बार आरती होती है—सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे, और शाम 7 बजे। मंदिर के पास समुद्र तट और सूर्यास्त का दृश्य इसे और भी आकर्षक बनाता है। यहाँ का प्रकाश और ध्वनि शो भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
यात्रा टिप्स
सोमनाथ की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे अच्छा है, क्योंकि गर्मियाँ यहाँ गर्म और उमस भरी हो सकती हैं। पास में प्रभास क्षेत्र, सोमनाथ बीच, और गिर नेशनल पार्क जैसे स्थान भी देखे जा सकते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए सुबह जल्दी पहुँचें ताकि भीड़ से बचा जा सके।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग का दक्षिणी रत्न
स्थान और पहुँच
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में श्रीशैलम पहाड़ियों पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में दूसरा मंदिर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मार्कापुर (85 किमी) और हवाई अड्डा हैदराबाद (200 किमी) है। सड़क मार्ग से भी यह अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, और पहाड़ी रास्ते इसे रोमांचक बनाते हैं।
इतिहास और पौराणिक कथा
मल्लिकार्जुन का नाम शिव और पार्वती के संयुक्त रूप से लिया गया है—”मल्लिका” पार्वती को और “अर्जुन” शिव को दर्शाता है। कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता से नाराज होकर कैलाश छोड़कर श्रीशैलम आए थे। शिव और पार्वती उन्हें मनाने यहाँ पहुँचे और स्वयंभू रूप में प्रकट हुए। यह मंदिर दक्षिण भारत में 12 ज्योतिर्लिंग का एकमात्र प्रतिनिधि है और इसे “दक्षिण का काशी” भी कहा जाता है।
ऐतिहासिक रूप से, इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं। मल्लिकार्जुन मंदिर कई शताब्दियों से भक्तों का केंद्र रहा है।
विशेषताएँ
यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर बसा है और यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य मनमोहक है। मल्लिकार्जुन न केवल 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है, बल्कि यह 18 शक्ति पीठों में से एक भी है, जहाँ पार्वती की पूजा सती के रूप में होती है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह छोटा लेकिन ऊर्जावान है। यहाँ की वास्तुकला द्रविड़ शैली में है, जिसमें नक्काशीदार दीवारें और मूर्तियाँ शामिल हैं।
यात्रा टिप्स
महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है। यात्रा के लिए नवंबर से फरवरी का समय उत्तम है। पास में श्रीशैलम बाँध और वन्यजीव अभयारण्य भी देखने लायक हैं। यहाँ पहुँचने के लिए स्थानीय बसें या टैक्सी ले सकते हैं।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग में समय का स्वामी
स्थान और पहुँच
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में तीसरा मंदिर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन यहाँ से कुछ ही किलोमीटर दूर है, और निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (55 किमी) में है। यह शहर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
इतिहास और पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, उज्जैन पर एक राक्षस ने हमला किया था। तब भगवान शिव ने महाकाल रूप में प्रकट होकर उसका संहार किया और नगर की रक्षा की। यहाँ का शिवलिंग दक्षिणमुखी है, जो इसे 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे अलग बनाता है। महाकाल को समय का स्वामी माना जाता है, और ऐसा विश्वास है कि यहाँ दर्शन करने से मृत्यु का भय समाप्त होता है।
ऐतिहासिक रूप से, महाकालेश्वर मंदिर का उल्लेख महाभारत और कालिदास के लेखों में मिलता है। यहाँ हर 12 साल में कुंभ मेला भी आयोजित होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
विशेषताएँ
महाकालेश्वर की सबसे बड़ी विशेषता यहाँ की भस्म आरती है, जो सुबह 4 बजे होती है। यह अनुष्ठान पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, जिसमें भस्म से शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है। मंदिर का परिसर विशाल है, और यहाँ कई छोटे मंदिर भी हैं। यह 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे जीवंत ऊर्जा वाला स्थान माना जाता है।
यात्रा टिप्स
भस्म आरती देखने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण जरूरी है। सावन मास में यहाँ भक्तों की भीड़ रहती है, इसलिए यात्रा की योजना पहले से बनाएँ। पास में क्षिप्रा नदी घाट और हरसिद्धि मंदिर भी देख सकते हैं।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग में नर्मदा का आशीर्वाद
स्थान और पहुँच
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के मंधाता द्वीप पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में चौथा मंदिर है। यह इंदौर से 77 किमी और खंडवा रेलवे स्टेशन से 12 किमी दूर है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह मंदिर शांति और सुंदरता का प्रतीक है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, विंध्य पर्वत ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। प्रसन्न होकर शिव यहाँ स्वयंभू रूप में प्रकट हुए और विंध्य को आशीर्वाद दिया। एक अन्य कथा में कहा जाता है कि यहाँ मंधाता ऋषि ने तप किया था, जिसके फलस्वरूप यह स्थान “मंधाता द्वीप” कहलाया। यहाँ का शिवलिंग “ॐ” के आकार का है, जो इसे 12 ज्योतिर्लिंग में विशिष्ट बनाता है।
विशेषताएँ
ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा और कावेरी नदियों के संगम पर स्थित है। यहाँ दो मुख्य मंदिर हैं—ओंकारेश्वर और अमलेश्वर, दोनों ही 12 ज्योतिर्लिंग का हिस्सा माने जाते हैं। मंदिर की पहाड़ी संरचना और नदी का दृश्य इसे मनोरम बनाते हैं। यहाँ की नौका यात्रा भी लोकप्रिय है।
यात्रा टिप्स
मानसून में नर्मदा का जलस्तर बढ़ जाता है, इसलिए सर्दियों में यात्रा करें। नौका से द्वीप तक पहुँचें और पास के ममलेश्वर मंदिर को भी देखें।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग में हिमालय का आलौकिक स्थल
स्थान और पहुँच
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में पाँचवाँ मंदिर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। निकटतम हवाई अड्डा देहरादून (239 किमी) और रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (216 किमी) है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, महाभारत के बाद पांडवों ने कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव से क्षमा माँगी। शिव ने पहले उन्हें दर्शन देने से इनकार किया और बैल के रूप में छिप गए। लेकिन पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर वे केदारनाथ में प्रकट हुए और मोक्ष प्रदान किया। यह मंदिर चार धाम यात्रा का हिस्सा भी है और 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे ऊँचा है।
ऐतिहासिक रूप से, माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों या उनके वंशजों ने किया था। 2013 की बाढ़ में भी यह मंदिर सुरक्षित रहा, जो इसकी दिव्यता को दर्शाता है।
विशेषताएँ
केदारनाथ का शिवलिंग त्रिकोणीय और स्वयंभू है। मंदिर की पत्थरों से बनी संरचना प्राचीन और मजबूत है। यह मई से नवंबर तक खुला रहता है, और सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है। हिमालय का यह स्थल 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे आलौकिक माना जाता है।
यात्रा टिप्स
हेलिकॉप्टर सेवा उपलब्ध है, लेकिन पैदल यात्रा का अपना आनंद है। ठंड के लिए गर्म कपड़े और ऑक्सीजन की व्यवस्था करें। मई-जून में यात्रा शुरू करें।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग में प्रकृति का संरक्षक
स्थान और पहुँच
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के सह्याद्रि पर्वतों में पुणे से 110 किमी दूर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में छठा मंदिर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे और हवाई अड्डा भी पुणे (130 किमी) में है। यहाँ तक पहुँचने के लिए घने जंगलों से गुजरना पड़ता है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, राक्षस भीम ने इस क्षेत्र में उत्पात मचाया था। उसने भक्तों को परेशान किया, जिसके बाद भगवान शिव ने उसे हराया और यहाँ स्वयंभू रूप में प्रकट हुए। इसीलिए इसे “भीमाशंकर” कहा जाता है। यह भीमा नदी का उद्गम स्थल भी है, जो इसे 12 ज्योतिर्लिंग में प्रकृति से जोड़ता है।
विशेषताएँ
भीमाशंकर मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है। यहाँ का घना जंगल जैव विविधता से भरा है और यह एक वन्यजीव अभयारण्य भी है। मंदिर का परिसर शांत और प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है।
यात्रा टिप्स
मानसून (जून-सितंबर) में यहाँ की हरियाली देखने लायक है। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह उत्तम स्थान है। पास में हनुमान झील भी देख सकते हैं।
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: 12 ज्योतिर्लिंग में काशी का हृदय
स्थान और पहुँच
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में सातवाँ मंदिर है। वाराणसी रेलवे स्टेशन और लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा (22 किमी) यहाँ के निकटतम परिवहन केंद्र हैं। यह शहर “काशी” के नाम से भी जाना जाता है और हिंदू धर्म में सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।
इतिहास और पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने विश्व के कल्याण के लिए यहाँ स्वयंभू रूप में प्रकट होकर काशी को बसाया। ऐसा माना जाता है कि यहाँ मृत्यु के बाद आत्मा को मोक्ष मिलता है, जिसके कारण इसे “मोक्ष नगरी” कहा जाता है। एक अन्य कथा में कहा जाता है कि शिव ने यहाँ गंगा को अपनी जटाओं से धरती पर उतारा था। विश्वनाथ का अर्थ है “विश्व का स्वामी,” और यह 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है।
ऐतिहासिक रूप से, विश्वनाथ मंदिर कई बार आक्रमणों का शिकार बना। 17वीं शताब्दी में औरंगजेब ने इसे नष्ट कर दिया था, और वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं शताब्दी में अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया। हाल ही में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने इसे और भव्य बना दिया है।
विशेषताएँ
विश्वनाथ मंदिर का शिवलिंग छोटा लेकिन अत्यंत शक्तिशाली है। यहाँ की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है, जो हर शाम दशाश्वमेध घाट पर होती है। मंदिर का स्वर्ण शिखर और संकरी गलियाँ इसे अनूठा बनाती हैं। यह 12 ज्योतिर्लिंग में एकमात्र ऐसा मंदिर है जो मोक्ष से सीधे जुड़ा है।
यात्रा टिप्स
सावन मास और महाशिवरात्रि में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है। सुबह जल्दी दर्शन के लिए जाएँ। पास में गंगा घाट, संकट मोचन मंदिर, और सारनाथ भी देख सकते हैं।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग : 12 ज्योतिर्लिंग में गोदावरी का उद्गम
स्थान और पहुँच
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि पहाड़ी के पास स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में आठवाँ मंदिर है। यह नासिक रेलवे स्टेशन से 28 किमी और मुंबई हवाई अड्डे से 180 किमी दूर है। यहाँ तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, गौतम ऋषि ने यहाँ कठोर तपस्या की थी। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयंभू रूप में प्रकट हुए और गोदावरी नदी को धरती पर लाए। यह गोदावरी का उद्गम स्थल है। त्र्यंबकेश्वर का अर्थ है “तीन नेत्रों वाला स्वामी,” जो शिव के त्रिनेत्र को दर्शाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में अपनी अनूठी संरचना के लिए जाना जाता है।
ऐतिहासिक रूप से, इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में पेशवा बालाजी बाजीराव ने करवाया था। यह मंदिर कई शताब्दियों से तीर्थयात्रियों का केंद्र रहा है।
विशेषताएँ
त्र्यंबकेश्वर का शिवलिंग तीन मुखों वाला है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का प्रतीक है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ यह विशेषता है। मंदिर की काले पत्थरों से बनी संरचना और पास का कुशावर्त कुंड इसे खास बनाते हैं। यहाँ हर 12 साल में कुंभ मेला भी लगता है।
यात्रा टिप्स
श्रावण मास में यहाँ विशेष पूजा होती है। मानसून में गोदावरी का दृश्य सुंदर होता है। पास में नासिक के दाख बागान और पंचवटी भी देख सकते हैं।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग : 12 ज्योतिर्लिंग में चिकित्सक शिव
स्थान और पहुँच
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में नौवाँ मंदिर है। देवघर रेलवे स्टेशन से यह 8 किमी दूर है, और निकटतम हवाई अड्डा राँची (250 किमी) में है। यहाँ तक सड़क मार्ग से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, लंकापति रावण ने यहाँ कठोर तपस्या की थी। वह शिवलिंग को लंका ले जाना चाहता था, लेकिन शिव ने उसे यहाँ स्थापित कर दिया। एक अन्य मान्यता के अनुसार, शिव यहाँ वैद्य (चिकित्सक) रूप में प्रकट हुए, जिससे इसका नाम “वैद्यनाथ” पड़ा। यह 12 ज्योतिर्लिंग में अपनी भक्ति और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है।
ऐतिहासिक रूप से, वैद्यनाथ मंदिर का उल्लेख पुराणों में मिलता है। यह मंदिर सावन में काँवर यात्रा का मुख्य केंद्र है।
विशेषताएँ
वैद्यनाथ का शिवलिंग स्वयंभू है और मंदिर परिसर में 22 अन्य छोटे मंदिर हैं। यहाँ सावन में लाखों काँवरिए जल चढ़ाने आते हैं। यह 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे जीवंत स्थानों में से एक है। मंदिर की संरचना सादगी भरी लेकिन प्रभावशाली है।
यात्रा टिप्स
जुलाई-अगस्त में काँवर यात्रा के कारण भीड़ रहती है। सर्दियों में यात्रा करना बेहतर है। पास में त्रिकूट पर्वत और नौलखा मंदिर भी देख सकते हैं।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : 12 ज्योतिर्लिंग में विष का नाशक
स्थान और पहुँच
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका से 17 किमी दूर गोमती द्वारका में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में दसवाँ मंदिर है। निकटतम रेलवे स्टेशन द्वारका (17 किमी) और हवाई अड्डा जामनगर (127 किमी) है। यहाँ तक सड़क मार्ग से पहुँचना आसान है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, एक राक्षस दारुक ने भक्तों को परेशान किया था। भगवान शिव ने यहाँ प्रकट होकर उसका संहार किया और भक्तों को विष से बचाया। इसीलिए इसे “नागेश्वर” (नागों का स्वामी) कहा जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक है।
ऐतिहासिक रूप से, इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। यह मंदिर सादगी भरा लेकिन आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है।
विशेषताएँ
नागेश्वर मंदिर के पास भगवान शिव की 25 मीटर ऊँची मूर्ति है, जो इसे आकर्षक बनाती है। यहाँ का शिवलिंग छोटा लेकिन शक्तिशाली है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में अपनी सादगी और शांति के लिए जाना जाता है। मंदिर का परिसर समुद्र के पास होने से और भी सुंदर है।
यात्रा टिप्स
द्वारकाधीश मंदिर पास में है, इसलिए दोनों की यात्रा एक साथ करें। अक्टूबर से मार्च यहाँ का सबसे अच्छा समय है। पास में नageshwar beach भी देख सकते हैं।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग : 12 ज्योतिर्लिंग में राम का आशीर्वाद
स्थान और पहुँच
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में एक द्वीप पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में ग्यारहवाँ मंदिर है। रामेश्वरम रेलवे स्टेशन यहाँ का मुख्य परिवहन केंद्र है, और निकटतम हवाई अड्डा मदुरै (174 किमी) में है। यहाँ तक पहुँचने के लिए पंबन पुल का रास्ता बेहद खूबसूरत है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, भगवान राम ने लंका विजय के बाद यहाँ शिवलिंग की स्थापना की और पूजा की। यह शिवलिंग राम द्वारा बनाया गया था, जिसे बाद में स्वयंभू माना गया। यह 12 ज्योतिर्लिंग में एकमात्र ऐसा मंदिर है जो राम और शिव के संयुक्त भक्ति का प्रतीक है। यह चार धाम यात्रा का हिस्सा भी है।
ऐतिहासिक रूप से, रामेश्वरम मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में शुरू हुआ और बाद में इसका विस्तार हुआ। यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
विशेषताएँ
रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा मंदिर गलियारा है। यहाँ 22 पवित्र कुंड हैं, जिनमें स्नान करने की परंपरा है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में अपनी भव्य वास्तुकला और समुद्री सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
यात्रा टिप्स
सर्दियाँ (नवंबर-फरवरी) यहाँ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय हैं। पास में धनुषकोडी और अग्नि तीर्थम भी देख सकते हैं।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग : 12 ज्योतिर्लिंग का अंतिम रत्न
स्थान और पहुँच
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एलोरा गुफाओं के पास स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में बारहवाँ और अंतिम मंदिर है। यह औरंगाबाद रेलवे स्टेशन से 30 किमी और हवाई अड्डे से 34 किमी दूर है।
इतिहास और पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, एक भक्तिन घृष्णा ने अपने मृत पुत्र को पुनर्जनन के लिए शिव से प्रार्थना की। प्रसन्न होकर शिव यहाँ स्वयंभू रूप में प्रकट हुए और उसे आशीर्वाद दिया। इसीलिए इसे “घृष्णेश्वर” कहा जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में अपनी भक्ति और चमत्कारों के लिए जाना जाता है।
ऐतिहासिक रूप से, इस मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं शताब्दी में अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर प्राचीन काल से तीर्थस्थल रहा है।
विशेषताएँ
घृष्णेश्वर का मंदिर लाल पत्थरों से बना है और इसकी वास्तुकला आकर्षक है। यहाँ का शिवलिंग छोटा लेकिन शक्तिशाली है। यह 12 ज्योतिर्लिंग में अपनी सादगी और पास की एलोरा गुफाओं से निकटता के लिए प्रसिद्ध है।
यात्रा टिप्स
सर्दियाँ यहाँ यात्रा के लिए उपयुक्त हैं। पास में एलोरा और अजंता गुफाएँ भी देख सकते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए सुबह का समय चुनें।
इसे भी पढ़े : महा शिवरात्रि : भगवान शिव की रात्रि का महत्व और रहस्य
12 ज्योतिर्लिंग से संबंधित FAQ
1. 2025 में 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा का सबसे अच्छा समय कब है?
जवाब: 2025 में 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च सबसे अच्छा समय है, क्योंकि मौसम सुहावना रहता है। हालांकि, केदारनाथ जैसे ऊँचे मंदिर मई से नवंबर तक खुले रहते हैं। महाशिवरात्रि (फरवरी-मार्च) और सावन (जुलाई-अगस्त) में भी खास भीड़ होती है।
2. 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया ट्रेंड कौन सा है?
जवाब: हाल के वर्षों में, 12 ज्योतिर्लिंग में महाकालेश्वर की भस्म आरती और केदारनाथ की हेलिकॉप्टर यात्रा सोशल मीडिया (जैसे Instagram और X) पर ट्रेंड कर रही हैं। भक्त इनके वीडियो और फोटो #Jyotirlinga जैसे हैशटैग के साथ शेयर करते हैं।
3. क्या 12 ज्योतिर्लिंग की पूरी यात्रा एक महीने में संभव है?
जवाब: हाँ, 12 ज्योतिर्लिंग की पूरी यात्रा एक महीने में संभव है, लेकिन इसके लिए सावधानीपूर्वक योजना चाहिए। ये मंदिर भारत के अलग-अलग कोनों में हैं, इसलिए ट्रेन, हवाई जहाज, और सड़क मार्ग का संयोजन जरूरी है।
4. 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे ज्यादा वायरल होने वाला मंदिर कौन सा है?
जवाब: काशी विश्वनाथ (विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग) हाल ही में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के कारण वायरल हुआ है। 12 ज्योतिर्लिंग में यह सोशल मीडिया पर अपनी भव्यता और सुलभता के लिए चर्चा में रहता है।
5. 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा की लागत कितनी हो सकती है?
जवाब: 12 ज्योतिर्लिंग की पूरी यात्रा की लागत परिवहन, रहने, और खाने पर निर्भर करती है। सामान्य बजट में यह 50,000 से 1,00,000 रुपये तक हो सकती है, जबकि लग्जरी यात्रा में यह 2 लाख तक जा सकती है।
6. क्या 12 ज्योतिर्लिंग में ऑनलाइन दर्शन की सुविधा उपलब्ध है?
जवाब: हाँ, 12 ज्योतिर्लिंग में से कुछ मंदिर जैसे महाकालेश्वर और काशी विश्वनाथ ऑनलाइन दर्शन और लाइव आरती की सुविधा प्रदान करते हैं। इनके लिए आधिकारिक वेबसाइट्स या ऐप्स का उपयोग करें।
7. 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे कठिन यात्रा वाला मंदिर कौन सा है?
जवाब: केदारनाथ को 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे कठिन यात्रा वाला मंदिर माना जाता है। यह 3,583 मीटर की ऊँचाई पर है और गौरीकुंड से 16 किमी की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
8. 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे नया विकास प्रोजेक्ट कौन सा है?
जवाब: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (2021 में शुरू) 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे नया और चर्चित विकास प्रोजेक्ट है। यह मंदिर को गंगा घाट से जोड़ता है और भक्तों के लिए सुविधाएँ बढ़ाता है।
9. 12 ज्योतिर्लिंग की यात्रा के लिए बेस्ट ट्रैवल पैकेज कौन से हैं?
जवाब: IRCTC और कई निजी टूर ऑपरेटर 12 ज्योतिर्लिंग के लिए पैकेज ऑफर करते हैं, जैसे “Jyotirlinga Darshan Yatra”। ये 15-30 दिनों के पैकेज हैं, जिनमें परिवहन, ठहरने, और गाइड की सुविधा शामिल होती है।
10. 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे ज्यादा भीड़ कब होती है?
जवाब: 12 ज्योतिर्लिंग में सबसे ज्यादा भीड़ महाशिवरात्रि (फरवरी-मार्च) और सावन मास (जुलाई-अगस्त) के दौरान होती है। खासकर वैद्यनाथ में काँवर यात्रा और महाकालेश्वर में भस्म आरती के लिए भक्त उमड़ते हैं।
निष्कर्ष
ये छह 12 ज्योतिर्लिंग—विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम, और घृष्णेश्वर—भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि को पूर्ण करते हैं। इनकी यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि देश की विविधता और इतिहास से भी जोड़ती है। अब तक हमने 12 ज्योतिर्लिंग के सभी मंदिरों को कवर कर लिया है, जो एक संपूर्ण तीर्थ यात्रा का अनुभव प्रदान करते हैं।
JAY MAHAKAL
Om namah shivay
Khandwa jana sapna he